बुधवार, 16 नवंबर 2011

निशाने पर वन्य प्राणी

एक साल के भीतर अर्थात दिसमर 2010 से नवमर 2011 के ाीच एक ााध और दो ााघिनों का शिकार कवर्धा, राजनांदगांव और पंडरिया क्षेत्र में किया जा चुका है. आपको यह ाताना जरूरी है कि ये पूरा क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य मंत्री रमन सिंह का विधान सभा क्षेत्र है और यही उनका गृह ग्राम है. ााघ एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए राज्य में ााघ ाचाओ मुहिम चलाया जा रहा है, लेकिन इस तरह की घटनाएं लगातार होने से वन विभाग पर संदेह की सुई घुमने लगी है. सन् 2010 की गणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में इन्द्रावती टाइगर रिजर्व को छोड़ दें तो 24 ााघों के होने की जानकारी है. ऐसे में लगता है कि हम इनकी संख्या तो ाढ़ा नहीं पा रहे, पर इन्हें घटाने में अवश्य लग गये हैं. जानकारी अनुसार ााघों ने कान्हा से अचानकमार के ाीच नया कॉरीडोर ाना लिया है, जहां वन विभाग ने गुप्त कैमरे लगा रखे हैं, लेकिन गस्त की आ तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है, ऐसे में लाखों में ािकने वाले इन ााघों का शिकार करने वालों की चल पड़ी है. वे इन्हें मारने के ााद उनके ााल, दांत और नाखून को पहले निकाल कर अपने साथ ले जाते हैं और ााघ को वहीं खुले में छोड़ जाते है, ताकि जा उसका मांस सड़-गल कर या तो नष्ट हो जाए या अन्य जानवर उसका भक्षण कर लें. पश्चात उसके खाल को अलग से ोच कर लाखों कमा लें. इस काम में उनका वन विभाग का अमला भी चोरी-छिपे साथ देता है. वन्य प्राणी के शरीर का हर हिस्सा ोश-कीमती होता है. इनके शरीर के कुछ हिस्सों की न केवल भारत वरन विदेशों में भारी मांग है और इसी कारण इन निरीह प्राणी को ो-मौत मारने में शिकारियों को जरा भी खौफ नहीं होता. यह ााघिन पिछले तीन दिनों से कवर्धा भोरमदेव सेंचुरी मंदिर से 15 किलो मीटर दूर मरी पड़ी र्थी, जिसे देखने के ााद वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ. क्या उस क्षेत्र में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी पिछले तीन दिनों से गस्त में नहीं गये थे? क्या इसमें वन विभाग के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिली-भगत थी, कि पहले ााघिन के अंग भंग कर कीमती नाखूनों, ााल और दांत निकाल लिए जाए, फिर मौत की खार सामने लाए ताकि उसका पोस्टमार्टम हो तो ाहुत सा ाातें का खुलासा आप ही आप उस ााघिन की मौत के साथ दफन हो जाए? ------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें