मंगलवार, 15 नवंबर 2011

घोर अपमान

पारद पादुका पूजन के लिए एक श्लोक है- गृह स्याद् यस्य पूजायां गुरू पारद-पादुका, देवा अपिच तद्भाग्यं धन्यं धन्य तरं विदु. इस सिध्दान्त को अपना आधार बिंदु बना कर चलने वाले ही अपने भक्तों से अपने चरण पर रूपये न्यौछावर करने वालों के सामने उन रूपयों का अपमान करें, तो आप इसे क्या कहेंगे? छ्त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में श्रीमाली परिवार के नन्द किशोर श्रीमाली ने 8 नवम्बर से 10 नवम्बर तक धर्म चेतना रथ यात्रा के साथ पूर्णोत्सव, ध्यान, साधनाएं, दीक्षाएं, प्रवचन, पूजन का कार्यक्रम आयोजित कराया. इस तीन दिन के कार्यक्रम में वे रायपुर के स्टार होटल सेलिब्रेशन में रूके. इय दौरान उनके भक्तों की भीड़ लगी रही. उनसे प्रत्यक्ष मिलने की भी होड़ लगी रही. इन्हीं भक्तों ने गुरू के चरणों में न केवल अपने शीष नवाये वरण आरती की थाली में चढ़ावा चढ़ाने या कहें मंदिर में भगवान के चरणों में रूपये चढ़ाने की परम्परा का निर्वाह करते हुए नन्द किशोर श्रीमाली के चरणों में रूपये अपनी श्रध्दानुसार रखे, तब इन नन्द किशोर श्रीमाली ने जो किया वह मेरे गले नहीं उतर रही है. उन्होंने अपने पैरों के नीचे इन रूपयों को दबा कर रख लिया. क्या ऐसा धन लक्ष्मी के साथ हिन्दु परिवार कर सकता है? हमारी भारतीय संस्कृकि के अनुसार जब परिवार में एक बच्चा शिक्षा ग्रहण करने की उम्र में आता है, तो उसका तिलक लगा कर एवं पुस्तक, कलम की पूजा की जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि वह ज्ञानी बने और उस प्राप्त ज्ञान से अपना और अपने परिवार का भरण-पोषक करने के काबिल बने. हम गलती से भी किसी कापी, पुस्तक या पेपर को ही पैर से छू लेते हैं तो उस गलती के लिए क्षमा मांगते हैं. यह हमारी संस्कृति की देन है. ऐसा संस्कार हमें मिला हो और जो स्वयं को ज्ञानी बता कर कोई व्यक्ति आपकी आखों के सामने ऐसा कर रहा हो तो क्या आप उन सज्जन के समक्ष नतमस्तक होंगे? क्या आपको ग्लानी नहीं होगी कि ये कैसा धर्म के नाम पर पाखंड कर रहा है? क्योंकि श्रीमाली परिवार श्री निखिलेश्वरानंदजी के नाम पर विगत दो से तीन पीढ़ी से, जिसमें नारायण दत्त श्रीमाली, कैलाश चन्द्र श्रीमाली, अरविंद श्रीमाली और नंद किशोर श्रीमाली शामिल हैं, अपनी पत्रिका के साथ कुण्डली जागरण दीक्षा, तंत्र-मंत्र कवच, समय दीक्षा, ज्ञाल दीक्षा, जीवन मार्ग दीक्षा, शांभवी दीक्षा, विद्या दीक्षा, शिष्या दीक्षा, धन्वंतरि दीक्षा, सहित दुर्लभ साधनाए- पुष्पदेहा अप्सरा साधना, सवत्रजन वशीकरण प्रयोग, कामदेव रति साधना, गृहस्थ जीवन की आवश्यकता साधना, गृह निवारण प्रयोग, स्वयंवर अप्सरा साधना, विश्व की अप्रतिम साधना-दूर श्रवण साधना, मनोवांछित पदार्थ पाईये- शून्य साधना से, संतान प्राप्ति का अनुभूत प्रयोग-पष्ठी देवी साधना और अद्श्य होने का गोपनीय प्रयोग-पारद गुटिका द्वारा के अलावा 24 प्रकार की सिध्दि और साधना की पुस्तकें बेचने का कार्य में लगी हुई है. क्या ऐसे कार्य में लगे व्यक्ति विशेष के प्रति आपकी श्रध्दा बनी रह सकती है?

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