बुधवार, 16 नवंबर 2011

शोषित कृषक

छत्तीसगढ़ सरकार चाहती है कि यहां के कृषकों का भला हो. वे सिर्फ धान की खेती पर निर्भर ना रहें वरन अन्य खेती की तरफ जाएं और अच्छी उपज ले कर खुशहाल जिन्दगी ासर करें. सोच तो ाहुत ही अच्छी है पर क्या हकीकत में ऐसा हो रहा है? कृषकों को राज्य ाीज निगम ाीज उपलध कराती है, लेकिन आपको पता है, इन्हें जो ाीज दिए जाते हैं उसकी कीमत क्या होती है? छत्तीसगढ़ शासन ने उद्यानिकी विभाग के माध्यम से किसानों को पोषित योजना के तहत केला, आलू, ाागवानी, उद्यानिकी प्रशिक्षण देती है. योजना में दम है, लेकिन यदि कोई किसान इन योजनाओं से प्रभावित हो उसकी खेती करने के लिए इनसे ाीज खरीदे तो उसे आलू के ाीज 28 रूपये में एक किलो के भाव से खरीदना पड़ेगा. गुलाा की खेती करनी हो तो एक कलम 16.85 रूपये देकर खरीदनी पड़ेगी. गेंदा ाीज का छोटा पैकेट, जिसमें 100 दाने होते हैं, वह 126 रुपये देकर खरीदना पड़ेगा. आ यही ाीज आप खुले ााजार मेंं खरीदते हैं तो इससे कई गुना सस्ते में मिल जाएगा. हालात का मारा किसान क्या इतने महंगे दाम में इन ाीजों को खरीद सकता है? जाकि ााजार में गुलाा की एक कलम आपको 2 रूपये में आसानी से उपलध होता है. इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार, जा से सत्ता चला रही है उससे पहले अपने चुनावी घोषणा-पत्र में किसानों का हमदर्द ान 270 रूपये प्रति क्विंटल ोनस देने की ाात कही थी. ोनस नहीं देने के ााद भी हर साल रमन सरकार किसानों को ोनस देने की ाात कहती है और जा ोनस देने का समय आता है, तो मौन साध लेती है. कभी 220 रूपये तो कभी 50 रूपये ोनस देने का सजााग दिखा कर रमन सरकार ने आ तक किसानों के प्रति क्विंटल के हिसाा से 760 रूपये हजम कर गई है. हर साल अन्य राज्यों से धान को यहां अवैध रूप से लाकर ोचा जाता है और उसे छत्तीसगढ़ सरकार अपनी उपलधि ाता कर वाहवाही लूटती है. जाकि यहां के किसानों के धान ािकने के लिए खुले मैदान में पड़े रहते हैं और कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इससे आॅख मंूदे देखते रहते है. वह किसान पूरे परिवार के साथ अपनी मेहनत के फल की हिफायत के लिए खुले आकाश के नीचे अनेक रात काट देता है, लेकिन अन्य राज्य से आये धान को रात के अंधेरे में लाकर आनन-फानन में तौल कर उसकी परची काट कर दे दी जाती है. क्या एक गरीा किसान की मेहनत को इस तरह से ािखरते हुए देख कर किसी की आॅखों से आॅसू नहीं छलकते? इन्हीं के खून-पसीने से घरती का सीना फाड़ कर उपजाए फसल को आप प्रति दिन अपने आहार में शामिल करते हैं और स्वस्थ्य और तंदरूस्त रहते हैं. क्या गांव में ासे इन खेतिहर मजदूरों और किसानों को छोटे-छोटे मकानें में अपने नाक पोछते ाच्चों और पत्नी की तार-तार हुई साड़ी में देख कर जरा भी रहम नहीं आता? ---------------------

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