मंगलवार, 15 नवंबर 2011

हो रहा भारत निर्माण

कुछ सरकारी विज्ञापन मन को नई ऊर्जा देने में कामयाब होते हैं. इन विज्ञापनों को इस तरह से गीतों में पिरो कर पेश किया जाता है कि वह हमारी जुबान पर बस जाता है. कुछ ऐसा ही हो रहा भारत निर्माण में उपयोग किये गये गीत के साथ. चाहे आप इसे अपने टीवी पर देखें या रेडियो सुनने के दौरान इस विज्ञापन को सुन लें, पर जब सबसे पहली बार जब मैंने इस विज्ञापन को रेडियों में सुना तो अचानक चौंक गई. अरे यह क्या? इसमें एक लाइन है- सड़क बनी कच्चा रस्ता.. इसे सुन कोई भी भारतीय एक बार ठिठकेगा जरूर कि यह क्या कहा जा रहा है. हालाकि वहां कहने का आशय यह है कि जो कच्चे राह थे अब वहां पक्की सड़कें बन गयी है, पर जब इसे आप ध्यान से नहीं सुनेंगे तो आपको लगेगा कि जो सड़कें बनी है वह कच्चा रास्ता बन गया है. दरअसल समाचार बनाने (प्रिंट मीडिया) समाचार दिखाने (इलेक्टॉनिक मीडिया) और विज्ञापन के लिए जिंगल बनाने का एक अलग ही तरीका होता है यदि आप इसमें आप जरा सा भी चुक करते हैं तो वह अपना असर समाप्त तो करता ही है उसके अनेक अर्थ भी निकाले जाते हैं.

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